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ग़ज़ा में इसराइली जनसंहार के ख़िलाफ़ बांग्लादेशी छात्रों का प्रदर्शन

यह हिंदी अनुवाद अंग्रेजी के मूल लेख का है, Bangladesh students protest Israeli genocide in Gaza जो मूलतः 8 मई 2024 को प्रकाशित हुआ था I

साम्राज्यवादियों की शह पर ग़ज़ा में चल रहे इसराइली जनसंहार के ख़िलाफ़ अंतरराष्ट्रीय छात्र प्रदर्शनों की लहर में शामिल होते हुए सोमवार को पूरे बांग्लादेश के हज़ारों विश्वविद्यालयी और कॉलेज स्टूडेंट्स ने प्रदर्शन किया।

प्रदर्शनकारी बांग्लादेशी छात्रों ने पूरे अमेरिका के विश्वविद्यालयी परिसरों और कॉलेजों में छात्रों पर बर्बर पुलिसिया दमन की भी निंदा की, जहां वे इसराइल के बर्बर युद्ध के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

छह मई 2024 को बांग्लादेश में ढाका यूनिवर्सिटी में एक फ़लस्तीन समर्थक प्रदर्शन में मार्च के दौरान फ़लस्तीनी झंडा लहराते बांग्लादेशी छात्र। (एपी फ़ोटो/ महमूद हुसैन ओपू) [AP Photo/Mahmud Hossain Opu]

सोमवार के प्रदर्शनों का मुख्य केंद्र ढाका विश्वविद्यालय था जहां अन्य शैक्षणिक परिसरों और कॉलेजों के छात्र भी जुटे हुए थे। बांग्लादेशी अख़बार 'न्यू एज' के अनुसार, इसके अलावा जहांगीरनगर, चटगांव, कोमिला, राजशाही और शाहजलाल यूनिवर्सिटी ऑफ़ साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी विश्वविद्यालयों में भी प्रदर्शन हुए।

बोगुरा में शाह अज़ीज़ुल हक़ कॉलेज और मामेनसिंह की एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी में भी छात्रों ने अच्छी ख़ासी संख्या में प्रदर्शन किया। इन विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे फ़लस्तीनी छात्र और यूनिवर्सिटी के लेक्चरर भी इन प्रदर्शनों में शामिल हुए।

रैलियों और मार्चों में छात्रों बैनर लिए हुए थे जिन पर लिखा था- ”फ़्री पैलेस्टाइन, स्टॉप जेनोसाइड! डाउन विथ ज़ॉयोनिज़म! सीज़फ़ायर इन ग़ज़ा नाउ!” (आज़ाद फ़लस्तीन! यहूदीवाद का नाश हो! ग़ज़ा में तुरंत जंग रोको!) ढाका यूनिवर्सिटी की रैली में विश्वविद्यालय के कई लेक्चरर ने भी हिस्सा लिया। यह रैली ”सॉलिडैरिटी विथ फ़्री पैलेस्टाइन मूवमेंट इन अमेरिकन यूनिवर्सिटी!” के बैनर तले आयोजित की गई थी।

23 साल के ढाका यूनिवर्सिटी के छात्र सुलेमान ख़ान ने अरब न्यूज़ से कहा, ”अमेरिका और कुछ अन्य प्रभावशाली देश हमेशा अभिव्यक्ति की आज़ादी के पक्ष में बोलते रहते हैं। लेकिन अमेरिका में यूनिवर्सिटी परिसरों में जो कुछ हमने देखा, वो सभी वैश्विक नेताओं के लिए शर्म की बात है।” उन्होंने कहा, ”नौजवान (बांग्लादेश का) दुनिया की महाशक्तियों के इस पाखंड के ख़िलाफ़ सड़क पर उतरे हैं।”

एक अन्य छात्र ने कहा, ”हम यहां फ़लस्तीनी लोगों के बुनियादी मानवाधिकारों, आज़ादी, शांति, सद्भाव और न्याय के लिए आए हैं। हम बांग्लादेशी युद्ध के बारे में जानते हैं, हम शांति के बारे में जातने हैं, हम जानते हैं संघर्ष और उसकी पीड़ा को, हम जानते हैं औपनिवेशिक ग़ुलामी, कब्ज़े और दमन के दुख को और हम फ़लस्तीनी जनता के कष्टों को समझते हैं।”

बांग्लादेश में पढ़ रहे इसाक़ नोमुरा ने ढाका ट्रिब्यून से कहा, 'सबसे पहले कोलंबिया यूनिवर्सिटी में विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ, इसके बाद यह पूरे अमेरिका के विश्वविद्यालयों में फैल गया और अब यह पूरी दुनिया के विश्वविद्यालयों तक पहुंच गया है। आज हम यहां इन लोगों (छात्रों) के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए इरकट्ठा हुए हैं। मैं अपने घर फ़लस्तीन के छात्रों के लिए दिल से आवाज़ उठाना चाहता हूं। ग़ज़ा में तीन लाख फ़लस्तीनी छात्र हैं जो अपने स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों में नहीं जा सकते।'

सोमवार को राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शनों से पहले रविवार को ढाका यूनिवर्सिटी के छात्रों ने जनसंहार विरोधी प्रदर्शन किया था।

इस प्रदर्शन में शामिल रहे मुसद्दिक इब्न मोहम्मद अली ने मीडिया को बताया कि, “ग़ज़ा के लोगों के साथ इसराइल जो कुछ कर रहा है, वो स्पष्ट रूप से युद्ध अपराध और जनसंहार है। नेतन्याहू प्रशासन ने सभी मानवाधिकार क़ानूनों को ताक पर रख दिया है। यह अवैध युद्ध मानवाता की खातिर हर हाल में रोका जाना चाहिए।“

उन्होंने इसराइल के लिए अटूट समर्थन देने के लिए बाइडेन प्रशासन की निंदा की और अतीत के साम्राज्यवादी युद्दों को याद किया, “उन्होंने फ़लस्तीन, इराक़, अफ़ग़ानिस्तान में लोकतंत्र के नियमों की धज्जियां उड़ाईं, अब वे अपने ही देश में छात्रों पर हमला करके और उन्हें जेल में डालकर लोकतंत्र का उल्लंघन कर रहे हैं।“

ढाका यूनिवर्सिटी में क़ानून पढ़ाने वाले प्रोफ़ेसर नाकिब महमूद नसरुल्लाह ने प्रदर्शन का समर्थ किया और ऐलान किया कि ग़ज़ा पर इसराइल के जनसंहारक हमले एक वैश्विक सवाल है, “फ़लस्तीन की जनता के साथ खड़े होना केवल मुस्लिमों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा नहीं है...नेतन्याहू और बाइडेन इस युद्ध के खुलेआम समर्थक हैं और वे युद्ध अपराधी हैं।“

इस सप्ताह में हुए प्रदर्शन मुख्य रूप से प्रधानमंत्री शेख़ हसीना की सत्तारूढ़ आवामी लीग से जुड़े छात्र संगठन बांग्लादेश स्टूडेंट लीग ने आयोजित किए थे। इसके अध्यक्ष सद्दाम हुसैन ने सोमवार को ढाका यूनिवर्सिटी के प्रदर्शन के अंत में एक “शांति ज्ञापन“ पढ़ा।

इस ज्ञापन में अमेरिकी विश्वविद्यालयों में छात्रों के दमन उत्पीड़न की निंदा की गई और कहा गया कि “दमन और जनसंहार की मशीनरी को चलाने वाले हथियारों को विकसित करने से अलग होने की मांग कर रहे छात्र धमकी और दमन की परवाह नहीं कर रहे हैं।“

अवामी लीग के पूंजीवाद समर्थक नीतियों के तहत ही हुसैन ने अमेरिका और अन्य प्रभावशाली शक्तियों समेत ”वैश्विक नेताओं” से बेकार की अपील की। जबकि ये वही ताक़ते हैं जिन्होंने नेतन्याहू सरकार के अपराधिक जंग में हथियारों पर अरबों डॉलर की खुल कर मदद पहुंचाई और समर्थन किया। हुसैन ने इन साम्राज्यवादी शक्तियों से आह्वान किया कि वे 'अब दबे कुचले लोगों के साथ एकजुटता में खड़े हों, इंसाफ़, शांति और बराबरी के लिए खड़े हों।'

दो मई को एक प्रेस काफ्रेंस को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री हसीना ने भी छात्रों को गिरफ़्तार किए जाने को “मानवाधिकार का उल्लंघन“ क़रार देते हुए इसकी आलोचना की थी और सवाल किया था कि क्या यही “अमेरिकी लोकतंत्र है।“ मानवाधिकार और लोकतंत्र के बारे में हसीना का बयान पूरी तरह पाखंड से भरा है और अपनी सरकार द्वारा विपक्षी पार्टियों के दमन और नौकरियों, मज़दूरी और बांग्लादेशी मज़दूरों और ग़रीबों की जीवन स्थितियों पर इसके हिंसक हमलों से पहले ही बेनकाब है।

बांग्लादेशी छात्रों का विरोध प्रदर्शन साम्राज्यवादी शक्तियों द्वारा समर्थित फासीवादी नेतन्याहू शासन द्वारा किए जा रहे खूनी युद्ध के ख़िलाफ़ नौजवानों और मज़दूरों के बढ़ते वैश्विक विरोध की अभिव्यक्ति है। यूनिवर्सिटी में धरना और अन्य प्रदर्शन पूरे अमेरिका, कनाडा, जर्मनी, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, स्पेन, रोम, जापान और लेबनान में फैल गया है और लगातार हो रहे पुलिसिया दमन के बावजूद जारी है।

अभी तक 2,500 अमेरिकी छात्र प्रदर्शनकारियों को हिंसा के झूठे आरोपों में अमेरिका में गिरफ़्तार किया गया है, जबकि यूनिवर्सिटी में कैंपिंग कर रहे छात्रों को खाली कराने के लिए नेशनल गार्ड और दंगा नियंत्रण उपकरणों से लैस सैन्यीकृत पुलिस द्वारा कहर ढाहा जा रहा है। इसी तरह का पुलिसिया दमन फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन में देखा गया है।

हालांकि ग़ज़ा में जनसंहार को ख़त्म करने के लिए क्रांतिकारी नज़रिया और कार्यक्रम की ज़रूरत है।

इंटनरनेशनल कमेटी ऑफ़ फ़ोर्थ इंटरनेशनल (आईसीएफ़आई) और वर्ल्ड सोशलिस्ट वेब साइट छात्रों से आह्वान करती है कि वे अंतरराष्ट्री मज़दूर वर्ग से जुड़ें क्योंकि वही एकमात्र सामाजिक ताक़त है जो नेतन्याहू सरकार के आपराधिक हमलों, यूक्रेन में रूस के ख़िलाफ़ नाटो की अगुवाई वाले जंग और चीन के साथ अमेरिका के नेतृत्व में युद्ध की तेजी से हो रही तैयारियों को रोक सकती है।

डब्ल्यूएसडब्ल्यूएस वैश्विक रूप से छात्र प्रदर्शनों का गहन कवरेज उपब्ध करा रही है, जिसमें लाईव अपडेट शामिल है और परमाणु-सशस्त्र शक्तियों के बीच विनाशकारी युद्ध को रोकने के लिए एक क्रांतिकारी समाजवादी और अंतर्राष्ट्रीयवादी नज़रिए की रूपरेखा भी प्रस्तुत कर रही है। हम बांग्लादेशी छात्रों और मज़दूरों से डब्ल्यूएसडब्ल्यूएस को नियमित रूप से पढ़ने और प्रसारित करने का आग्रह करते हैं।

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